Wednesday, June 29, 2016

मंजिल...

हर पतंग जानती है, अंत में मुझे कचरे में जाना है,
लेकिन उसके पहले हमें, आसमान छूकर दिखाना है!
जिन्दगी भी यही चाहती है.
कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए,
मंजिल मिले या तजुर्बा चीजें दोनों ही नायाब है!
शुभ प्रभात...

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